आवाज़ में दर्द हो, दिल में ग़ज़ल हो
रात का माहौल हो, हवाओं की चहल हो
आँखे मूँदि हो, लबों पर हंसी हो
एहसास तुम्हारा हो, पत्तियां हिल रही हो
आँखे जब खोली हो, नदी पर चाँदनी हो
पानी में हाथ हो, फरिश्तों से बात हो
सहर में वक़्त ही, मौसम सर्द हो
खामोशियो का सवाल हो, नसीब का बुरा हाल हो
लौट कर आ गये घर, फिर कुछ सोचकर
ओढ़ी है चादर, रात से पूछकर