बेटियों को देखकर यही समझ आता है

बेटियों को देखकर यही समझ आता है
वक़्त किस तरह  तेजी से गुज़र जाता है

जिन हाथों में गुड्डे-गुड़ियाँ खेला करते थे
न जाने कब कागज़ कलम उतरआता है  

हाथ पीले देखकर , दुल्हन बनी देखकर
आँखों को केवल रोना ही नज़र आता है

वो सब छोटे जूते,वो उसकी तुतली बातें
रह रह कर पूरे घर में ही पसर जाता है 
 


तारीख: 13.09.2019                                    सलिल सरोज









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