एक ख्वाहिश हैं

एक ख्वाहिश है बस दिवाने की,
तेरी आँखों में डूब जाने की।

साथ जब तुम निभा नही पाते ,
क्या जरूरत थी दिल लगाने की।

आज जब आस छोड़ दी मैनें,
तुमको फुरसत मिली है आने की।

आज दीदार हो गया उसका,
अब जरूरत नही मदीने की।

तेरी हर चाल समझता हूँ मैं,
तुझको आदत है दिल दुखाने की।

हम तो ख़ानाबदोश हैं लोगों,
हमसे मत पूछिये ठिकाने की।


तारीख: 20.10.2017                                    अभिषेक कुमार अम्बर









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