फ़िरदौस

आज मौसम में एक रवानी  है 
दूधिया आकाश है धरती पे जवानी है 

हरियाली ओढ़े इठलाती ये भी कम नहीं 
परिंदों ने चहचहा के दोहराई कोई कहानी है 

हवा के साथ झूम रहा है बादल भी 
हर ज़र्रे  पे तबस्सुम है फ़िरदौस की निशानी है 

बसा लूँ मैं भी अपना आशियाँ इन्ही के बीच 
आती जाती लहरों के साथ गज़ल कोई गानी है 

इस कदर ख़ूबसूरत है तेरा ये शाहकार 
कि इसके आगे ऐ खुद तेरी ज़न्नत भी ठुकरानी है 


तारीख: 09.06.2017                                    विभा नरसिम्हन









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