हम दोनों

एक अधूरी कहानी के किरदार हैं हम दोनों
कितने आसान मगर कितने दुशवार हैं हम दोनों


किताब के हर हर्फ़ पे है एक दूजे का नाम
एक दूजे के कितने राज़दार हैं हम दोनों


तमाम उम्र हंस हंस कर बोलते रहे
कितने झूठे मक्कार हैं हम दोनों


बेशक दूरियाँ बढ़ाते रहें ख़ामोशी बढ़ाते रहें
विसाल को आज भी उतने ही बेक़रार हैं हम दोनों..


तारीख: 16.07.2017                                    राहुल तिवारी









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