जब आ जाती है याद

 

जब आ जाती है याद फिर नही आती रैना
घर में बाहर अंदर बैठूँ नही आता मुझे चैना

मखमल से भी कोमल, चुभते है बिछौना
तकते रहते है उल्लू से,  मेरे दोनो नैना

सारे सुर विरह ही बढाये, बोले चाहे तोता-मैना
कुछ मीठी यादें यूँ घुल जाये, जैसे मुहँ में घुल जाये छैना

कब तक एकटक ताकोगी यूँ, अब तो कुछ बो-लौना
हम तो तेरे ही है, प्रिय तू भी हमारी हैना


तारीख: 15.06.2017                                    रामकृष्ण शर्मा बेचैन









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