जो जुनून था तेरे इश्क़ का अच्छा हुआ उतर गया

 जो जुनून था तेरे इश्क़ का अच्छा हुआ उतर गया

हुई बारिशें भी ज़ोर से , फिर आसमाँ निखर गया

 

कुछ राहज़न भी साथ हैं, मेरे कारवाँ ए ज़ीस्त  में

जो साथ था मेरे हर कदम, वो राहबर किधर गया

(राहज़न : लुटेरा, राहबर : मार्गदर्शक (Guide))

 

सब कह रहे चला गया, मुझे छोड़ के नयी राह वो 

फिर उदासियों के रँग में, आँखो मेँ क्या ठहर गया

 

ज़माने के ग़म भी हैं मेरे, फ़साने में इक तू हीं नहीं 

रोने से अब क्या फ़ायदा, तू अहद ए वफ़ा से मुकर गया

(फ़साने : कहानी, अहद-ए-वफ़ा : प्यार का वचन)

 

जिसके दर्द को समेटना, मेरी ज़िन्दगी का ख़्वाब था

कल शब  उसी के रूबरू, मैं ज़र्रा ज़र्रा  बिखर गया

(रूबरू : सामने(in front), ज़र्रा : कण (Particle))

 

क़िस्से हमारे इश्क़ के, मशहूर कभी गुलशन में  थे 

वो कहानियाँ अब ख़त्म हुई, वो बाग भी  उजड़ गया

 

वो जो फुल मुझे अज़ीज़ था, नहीं दुर बड़ा करीब था

आज देखा उसे जो गौर से, ये वक्त कितना गुजर गया

(अज़ीज़ : प्यारा(lovable))

 

वो जो शख्स था मेरा मुँतज़िर, ज़माने का क्यों हो लिया

अब मैं ढुँढता उसे हर गली, वो जाने कौन शहर गया

(मुँतज़िर : प्रतीक्षा करने वाला)


तारीख: 11.07.2019                                    प्रमोद राजपुत









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है