कितना प्यारा बहार का दिन था

कितना प्यारा बहार का दिन था ।
उन दिनों जैसे प्यार का दिन था ।।

"हम उसी दिन मिले थे पहली बार 
 और वो  सोमवार  का  दिन था ।।"

तब नही  कोई ख्वाब  था फिर भी
मानों  जैसे  करार  का  दिन  था ।।

ख़्वाब  पहला  कोई  नशा  पहला ,
और  पहली  फुहार  का  दिन था ।।

कुछ भी  मन में नही था फिर भी ,
जैसे  वो  ऐतबार  का  दिन था ।।

जाने क्या  बात थी  किसी  जैसे ,
सदियों के इन्तजार का दिन था ।।

तुम भुला सकते  ही नही  के वो ,
'देव'  तुम्हारें  यार  का  दिन था ।।

 


तारीख: 05.08.2017                                     देव मणि मिश्र









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है