हैं हसरतें अर्श से फर्श को, अरमान भी ठहरे ठहरे
चल आंधी से पहले, चाहतों को झूला तो झूला दें
जाते हो, चले जाईये, रेत का गुबार मेरी नजर कर
रेत भी शराब जान पियूं, जो तेरी महक से मिला दे
मैं पत्ता तूं आंधी, है गुजर जाना तेरा शौके वाबस्ता
ये तो बता, तेरे जाने के बाद तेरा क्या क्या भुला दें
जर्रे की तरह रहा हूँ आगोश में तेरे, इक करम कर
जाते - जाते, बस एक बार और जी भर के रुला दे
हूं पिंजरे में, तेज हवाओं की जद में भी बेखबर सा
संभल ए आंधी, ये चिराग तेरा आशियाँ ना जला दे
जिंदगी की आँधि में, बरसों से मैं सो नहीं पाया हूँ
आख़िरी नींद चाहता हूं, जो तूं तेरे पहलू में सूला दे