मेरे दिल में तुम्हारी तस्वीर है

मेरे दिल में तुम्हारी तस्वीर है कि खुद तुम हो। 
ज़िन्दगी में तुम्हारी तासीर है कि खुद तुम हो।

दर्द-ए-दिल की वजह ढूंढता हूँ मैं रात दिन,
तुम्हारी नज़रों का तीर है कि खुद तुम हो।

ये मेरी बैचेन जागती रातें असमंजस में है,
कफ़ा मुझसे मेरी तक़दीर है कि खुद तुम हो।

दोनों हाथ फैलाये खड़ा, देख रहा है कोई,
ऊपर वाला दान-वीर है कि खुद तुम हो।

मेरे दिन, महीने, साल, सब तुम्हारे नाम हैं। 
बताइये दीवाना फ़क़ीर है कि खुद तुम हो।


तारीख: 15.06.2017                                    अर्पित गुप्ता 









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