मुझे आवाज़ दे देकर मेरा माजी़ बुलाता है
वो अक्सर ख्वाब मे आकर मेरी नींदें उड़ाता है।
तजुर्बा हो गया हमको सबक भी मिल गया हमको
यहाँ पर सब खिलौने है जिसे मौला नचाता है।
गुनाहों से करी तौबा यकीं हमको खुदा पर है
मै जब -जब राह भटका हूँ मुझे रब ही बचाता है।
मुझे हैरत हुई उसपर कि आखिर चीज़ क्या है वो
गमों की बारिशों मे भी वो हँसता है हँसाता है।
वो दोज़ख के अंधेरो मे है पहुँचा मौत से पहले
यहाँ हर शख्स दुनिया मे सज़ा क्या खूब पाता।