नही इतना भी मुश्किल उसका पता है
मुहब्बत हो दिल में तो हस सू खुदा है
बहुत मुझमें है खामियाँ मैंने माना
नहीं मेरी फितरत में लेकिन दग़ा है
खुदाया ये कैसा सफ़र है कि जिसमें
नहीं कोई मंज़िल फ़क़त रास्ता है
है आसाँ नहीं मेरे दिल तक पहुँचना
सफर हर कदम पर ये काँटों भरा है
भरोसा करें भी किसी का तो कैसे
बगल में खुदा जाने किसकी छुरा है
चलीं आजकल जाने कैसी हवाएँ
बहुत मुश्किलों से मेरा घर बचा है
है मुश्किल ‘पवन’ अब सफर जिन्दगी का
कदम-दर-कदम इक नया हादसा है