फूल हूँ अंगार नही हूँ
कलम हूँ तलवार नही हूँ ।
अपनो ने गले लगाया दिल से
गैरो का मैं तलबगार नही हूँ ।
रंग पाऊँ तुझको अपने रंग में
राधे का मधुर प्यार नही हूँ ।
लोगों के मन से जुड़ा हुआ मैं
मिट जाऊं वो बिचार नही हूँ ।
शक भर निगाहों से न देखो
आशिको का सरदार नही हूँ ।
बड़े शहर में घर है तेरा
मैं भी कोई गवाँर नही हूँ ।
जो चाहूँ वो मिल जाए
इतना भी खुशगंवार नही हूँ ।