वो उतरता है जब भी खयालात में
आँख भर आती है बात ही बात में
उम्र भर के लिए उसने वादे किए
तोड़ लेकिन दिए एक ही रात में
दर्दे-दिल अश्क़ और सिर्फ़ तन्हाइयाँ
हमको देकर गया है वो सौगात में
मेरे ख्वाबों का था एक सुन्दर महल
टूटकर जो गिरा पहली बरसात में
हैं फरेबी बहुत इस जहाँ में ‘पवन’
बह न जाना कहीं झूठे जज़्बात में