इश्क़ का भ्रम यूँ बनाते रहिए

इश्क़ का भ्रम यूँ बनाते रहिए
इस दिल में आते जाते रहिए

आप ही मेरी नज़्मों की जाँ थी
ये चर्चा भी सरे आम सुनते रहिए

सिलिए ज़ुबान तकल्लुफ से
लेकिन निगाहें मिलाते रहिए

आप मेरी हैं भी और नहीं भी
ये जादूगरी खूब दिखाते रहिए

आप बुझ जाइए शाम की तरह
मुझे दिन की मानिंद जलाते रहिए

है कोई बीमार आपका,फिक्र नहीं
आप बेरुखी से खिखिलाते रहिए


तारीख: 22.08.2019                                    सलिल सरोज









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