कदम-दर-कदम हादसा है ये कैसा सफर या खुदा है
मुहब्बत फ़क़त इक सज़ा है सज़ा में भी लेकिन मज़ा है
तिरी राह में आने वाला हर इक शख़्स डरने लगा है
यही फलसफ़ा ज़िन्दगी का कभी दुख कभी सुख मिला है
कहीं ढह न जाए घरौंदा बड़ा तेज़ पानी बहा है
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