तारीफ़ के लिए तरसते फ़नकार देखा है

तारीफ़ के लिए तरसते फ़नकार देखा है
गुमनामी में ही गुजरते कलाकार देखा है ।


ये और बात है वो मक़बूल हो नहीं पाए
लेखनी मगर उनकी बेहद दमदार देखा है ।


कभी किसी मंच पर उन्हें सुना नहीं गया
घर में भी खफ़ा उनसे है परिवार देखा ।


चाहता हूँ मैं आवाज़ उनके लिए उठाऊँ
जिनके लिए समाज में तिरस्कार देखा है ।


जाने कब ज़माना समझेगा ये हक़ीक़त
गलतफहमियां पाले हमने हज़ार देखा है ।


तारीख: 01.11.2019                                    अजय प्रसाद









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