लानत की होम डिलीवरी

बत्रा जी , भौगोलिक और गणितीय दृष्टि से हमारे पड़ौसी है। उनसे हमारे संबंध उतने ही अच्छे है जितने भारत के संबंध पाकिस्तान से है। पाकिस्तान की तरह, बत्रा जी भी आए दिन सीज़फायर का उल्लंघन करते रहते है जिसका ज़वाब समय-असमय पर सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में उन्हें मिलता रहता है। पूरे मौहल्ले में बत्रा जी "लानत विशेषज्ञ" के रूप में सिद्ध और प्रसिद्ध है क्योंकि वे बात बात में हुल की शक्ल में लानत देने में माहिर है। मौहल्ले का कोई भी व्यक्ति बत्रा जी की लानत से ज़्यादा दिन तक अछूता नही रह सकता है क्योंकि लानत भेजने में बत्रा जी संयमित हो या ना हो नियमित ज़रूर है। पहले बत्रा जी की लानत व्यक्तिवादी और कम तीव्रता वाली होती थी, उसके बाद बत्रा जी ने अपनी लानत का विकास करते हुए इसे व्यक्तिवादी से प्रवृत्तिवादी बनाया। बॉलीवुड, राजनीती , क्रिकेट और सभी ज़्वलंत राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मुद्दे बत्रा जी की लानत की चपेट में आ चुके है।

बत्रा जी,  खुद ही बिना देर किए सबको नियत समय पर लानत भेज देते है लेकिन कुछ शौक़ीन लोग बत्रा जी के लानत भेजने का इंतज़ार नहीं करते है बल्कि वे खुद माँग कर ले लेते है।

इतिहासकार बिना पूछे ही बताते है कि बत्रा जी का लानत के प्रति झुकाव उनके जन्म के समय ही हो गया था  क्योंकि  जन्म के समय ही उन्हें काफी "इनकमिंग लानतो" का सामना करना पड़ा था। बत्रा जी संस्कारी परिवार से ताल्लुक रखते है इसीलिए उनको बचपन मे लानत के क्षेत्र में हाथ-पांव दिखाने के लिए अनुकूल माहौल नहीं मिल पाया था लेकिन इस प्रतिकूल माहौल के बावजूद भी बत्रा जी ने बुरा या हार नही मानी और अपना "कूल" और संघर्ष बनाए रखा।

 कई प्रचलित लानत एक्सपर्ट्स, बत्रा जी द्वारा उगली हुई लानत को बहुत कीमती बताते है लेकिन बत्रा जी अपने दयालु स्वभाव के चलते आमजन को इसे प्रसाद रूप से निशुल्क उपलब्ध करवाते है। अपने दयालु स्वभाव के आगे बत्रा जी अक्सर घुटने और माथा हाईटेक तरीके से टेक देते है और अपनी स्वादिष्ट लानत से अपने प्रति श्रद्धा रखने वालों को वंचित नहीं रखते है।

शुरूआत में भूमिगत स्त्रोतों से व्यक्तिगत रूप से पूंजी और साहस जुटाते हुए बत्रा साहब ने लानत का "कुटिल उद्योग" शुरू किया था जो अब विशाल विषवृक्ष का रूप ले चुका हैं। पहले बत्रा जी बिना माँग के ही लानत का दनादन उत्पादन करते थे जिसका विक्रय तो नही हो पाता था लेकिन प्रचंड घरेलू माँग के चलते वे कुशलता से उसका स्व-उपभोग सुनिश्चित कर लेते थे। शुरुआत में बत्रा जी की लानत का दायरा सीमित था लेकिन उनके इरादे नेताओ के लालच की तरह असीमित और सरकारी कैंटीन में मिलने वाली रोटी की तरह ठोस थे। इसी के चलते अब देश -विदेश में सभी "लानतपिपासु" लोग उनके द्वारा उत्पादित लानत से लाभान्वित होकर उन्हें अच्छे दाम और दुआएँ दोनो दे रहे है। 

लानत के पान चबाकर बत्रा जी लगातार सफलता के सौपान चढ़ रहे है। घर-परिवार मे भी कोई आयोजन हो वे सबका मुँह लानत से ही मीठा और बंद करवाते है। व्यस्तता के बावजूद बत्रा जी आकर्षक पैकिंग में लानत के सभी ऑर्डर्स की होम डिलीवरी खुद करते है। होम डिलीवरी के प्रति बत्रा जी का समर्पण देखते हुए जल्द ही भारत सरकार उन्हें अपना सरकारी दूत बनाकर शत्रु राष्ट्रों में अपनी लानत भिजवाने के लिए नियुक्त कर सकती है। अगर  बत्रा जी को रोका नहीं गया तो वे जल्द ही लानत के फील्ड में भारत रत्न या नोबेल प्राइज भी झटक सकते है।

लानत के क्षेत्र में बत्रा जी आजकल नए नए प्रयोग कर रहे है। अभी पिछले चंद्रग्रहण के दौरान ही उन्होने हवा से हवा में मार करने वाली लानत मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। अब वो कोटा में पढ़ने वाले विज्ञान के विद्यार्थियों की सहायता से श्री हरिकोटा में प्रथम लानत उपग्रह का अंतरिक्ष मे प्रक्षेपण करने का प्रयास कर रहे जिसके बाद "हर घर लानत, हर घर मलानत" का उनका सपना पूरा हो सकेगा।


तारीख: 17.03.2018                                    अमित शर्मा 









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