सामाजिक सरोकार और स्टारडम

महानायक अमिताभ बच्चन ने फैसला किया है की वो अपनी संपत्ति अपने पुत्र अभिषेक बच्चन और पुत्री श्वेता बच्चन (नंदा) में बराबर-बराबर बांटेगे। अब अभिषेक और श्वेता चाहे तो शिकायत कर सकते है की अगर अमिताभ अपने कैरियर के दौरान “फेंके हुए पैसे” उठा लेते तो उनको मिलने वाली संपत्ति और भी अधिक हो सकती थी। अमिताभ ने ये निर्णय लिंग-समानता(जेंडर-इक्वालिटी) को प्रोत्साहन देने के लिए किया है। अमिताभ ने ये घोषणा ट्विटर पर एक फ़ोटो पोस्ट करके की, जो कि मनोरंजन जगत में “नोटबंदी” के बाद  दूसरी सबसे बड़ी घोषणा मानी जा रही है।

बिग बी अगर लिंग-समानता के लिए कुछ करना ही चाहते थे तो उन्हें पुत्री के साथ-साथ पुत्र को भी फ़िल्म-इंडस्ट्री में आने से रोकना चाहिए था इससे लिंग- समानता का उद्देश्य भी सफल हो जाता और सामाजिक सेवा भी हो जाती। वैसे अमिताभ बच्चन संपत्ति के साथ साथ अपनी आधी अभिनय क्षमता भी अपने पुत्र अभिषेक को दे देते तो शायद कई डाइरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स की संपत्ति बर्बाद होने से भीे बचा सकते थे।

स्टारपुत्र या स्टारपुत्री होने का यहीं फायदा और कायदा है की आप चाहे कुछ भी कारनामे करे,आपको अच्छी कार और नाम दोनों मिलता है और चाहे आप भले ही  कितनी भी फजीहत करे लेकिन बदले में आपको नसीहत और वसीयत ही मिलती है।

बॉलीवुड के खबरिया सूत्रो की माने तो अमिताभ ने यह घोषणा करने पहले अपने बच्चों को “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते है….” वाला डायलॉग सुनाया और घोषणा करने के बाद फिर “आज खुश तो बहुत होंगे तुम…” वाला डॉयलॉग सुनाकर, सूचना समाप्ती की घोषणा की।

इंसान चाहे कितना भी सफल हो जाए, कितना भी बड़ा स्टार बन जाये, जनता के बीच भगवान मानकर पूजा जाने लगे फिर भी अपने परिवार के प्रति, विशेषकर अपने बच्चों के प्रति थोडा पक्षपाती हो ही जाता है। अमिताभ कई सालो तक टेलीविजन पर लोगो को करोड़पति बनाने के लिए तरह तरह के सवाल पूछते रहे और जब बात अपने बच्चों की आई तो उन्हें बिना कोई सवाल पूछे ही सीधा करोड़पति बना दिया।

अभिषेक बच्चन तक तो ठीक है लेकिन अगर उदय चोपड़ा और तुषार कपूर को भी उनके परिवार ने आधी संपत्ति दी या फिर देने की सोची तो फिर देश में आपातकाल लगाने जैसा माहौल बन सकता, गृहयुध्द की स्थिति भी बन सकती है क्योंकि इनकी फिल्में देखकर समय और पैसा खो चुकी जनता अपना आपा खोने में समय नहीं लगाएगी।

अमिताभ बच्चन ने अपने इस निर्णय से सामाजिक सरोकारों की बहुत बड़ी “रेखा” खींच दी है। अब राजनैतिक दलो को भी  पिछले दरवाज़े से आगे आकर सामाजिक सरोकारों को पूरा करने के लिए अपने परिवार से ही पहल करनी चाहिए क्योंकि पहल से ही हल निकलेगा जिसका उपयोग वो किसानो की राजनीती चमकाने में भी कर सकते है। कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रियंका गांधी को भी अपनी माँ सोनिया गांधी से उनकी संपत्ति में पचास प्रतिशत हिस्सा मांग लेना चाहिए क्योंकि जिस तरीके से पूरी कांग्रेस और  श्री राहुल गांधी परफॉर्म कर रहे है उससे बहुत संभव है की श्रीमती सोनिया गांधी की आधी से ज़्यादा संपत्ति राहुल जी को लॉन्च करने में व्यय हो जाये।

सामाजिक सरोकारों को “स्टारडम” के ज़रिये ही पूरा किया जा सकता है ,बेईमान व्यवस्था से लड़ता,जूझता आम आदमी सामाजिक सरोकारों को उनके अंजाम तक पहुँचाने का दम नहीं रखता है। ये दम, स्टारडम से आता है क्योंकि स्टारडम पाते ही इंसान, सिस्टम के गुरत्कवार्षण से ऊपर उठ जाता है और फिर कानून व्यवस्था का पंजा आपको “बीइंग ह्यूमन” बनकर समाजसेवा करने से नहीं रोक सकता।


तारीख: 18.06.2017                                    अमित शर्मा 









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