गुमशुदा

आफिस से आते ही रजत निढाल सा होकर बिस्तर पर गिर जाता है.... आज कुछ थकान अधिक ही लग रही है.... एक तो यह कमबख्त रूम पार्टनर भी गांव गया हुआ है तो सारा काम खुद से ही करना पड़ जाता है.... बिस्तर पर लेटे हुए ही शर्ट के बटन खोलने लगता है... तभी जीन्स की पाकेट में रखा फोन बजने लगता है.... पाकेट से फोन निकाल के देखता है.... गांव से कॉल है.... फोन को रिसीव कर कान से सटा लेता है....

पापा जी प्रणाम.....।

खुश रहो बेटा..... कैसे हो...!

ठीक हूँ पापा...आप सब लोग कैसे हो...!

अरे यहाँ पर भी सब ठीक है.... वो तुमसे कहा था न की 50 हजार रूपये का इंतजाम करके भेज देना....क्या हुआ उसका अभी तक बन्दोबस्त किया की नही....पापा के स्वर में तल्खी सी है...!

वो पापा अभी पिछले महीने ही तो 30 हजार छोटी की पढ़ाई और माँ के इलाज के लिये दिया था...अभी फिर से 50 हजार का जुगाड़ केसे होगा...आफिस में भी इतना एडवांस नही मिल पाता है...रजत मायूसी से बोला...!

हद है यार....यही सब सुनने के लिये तुमको इंजीनियर बनवाया था क्या....5 लाख खर्च करके सब कुछ दांव पर लगा के तुमको पढ़ाया लिखाया ताकि भविष्य में हमारी कुछ मदद हो सके अभी तुम ऐसे बात करोगे तो केसे काम चलेगा...पापा जी उच्च स्वर में बोल पड़े..!

जी पापा समझ रहा हूँ.... पर आजकल सिटी में भी रहना बहुत महंगा हो गया है.... आये दिन नए नए खर्च बढ़ते रहते है.... दो साल हो गए है अभी तक वेतन व्रद्धि भी नही हुई है.... सोच रहा हूँ जॉब के साथ साथ पत्राचार से MBA कर लू तो आगे निकट भविष्य में दूसरी जॉब के लिये भी कुछ मदद मिल जायेगी...!

वेसे आपको रूपये की अभी क्या जरूरत पड़ गयी...?

अरे वो मेरा पुराना यार है न जगन उसने नई रायफल ली है.... एक हफ्ते पहले आया था बड़े शान से दिखा रहा था...मुझे पता है वो मुझे जला रहा था...मैने भी ताव में आकर बोल दिया की मेरा बेटा भी इंजीनियर है...बहुत जल्दी ही मै भी एक रायफल लूंगा....अब बेटा मैने रायफल न ली तो मेरी नाक कट जायेगी....तू कुछ भी कर पर 50 हजार का इंतजाम करके एक हफ्ते के अंदर भेज दे बाकि के पैसे का बन्दोबस्त हम कर लेँगे..!

पापा अगर अगले महीने भेज दूँ तो.?..इस महीने बहुत टाइट पोजीशन है.... रजत ने बुझे बुझे मन से कहा..!

#%$&&&^%^ तुमको ससुरदास बाप की इज्जत का जरा भी ख्याल नही है... यहाँ हम वादा कर लिए..हमारी इज्जत दांव पर लगी है और तुम अगले महीने भेज दोगो की बात करते हो....हमको पता है बे हमने कपूत को जन्म दिया है... तुमसे कुछ न हो सकेगा....!

पापा जी चिल्ला रहे है...रजत चुपचाप सुन रहा है..थोड़ी देर में फोन कट हो जाता है...!

अनमने से बैठे रजत की उंगलियां फोन के कांटेक्ट लिस्ट में से एक नंबर खोज के निकालती है...!

हैलो सुमित भाई....यार वो मेरा लेपटॉप है न...उसको कोई लेगा क्या...मै बेच रहा हूँ...!

क्या हुआ रजत भाई...लेपटॉप क्यों बेंच रहे हो...तुम्हे तो उसकी बड़ी जरूरत होती है न...सुमित बोल पड़ा..!

नही भाई अभी फोन और आफिस के सिस्टम से ही सब काम कर लेता हूँ... कोई खास जरूरत नही है.. रजत बोलता चला गया..!

ठीक है... कितना मिल जाय तो सही रहेगा...!

50 हजार का लिया था भाई...6 महीने यूज किया हूँ... कितना तक दिला दोगे...?

35 हजार तक मिल जायेगा....!

ठीक है कल पैसे लेकर आ जाना...लेपटॉप लेकर चले जाना...!

सुमित का फोन कट करके रजत एक और मित्र को फोन लगाता है...जिसकी वह वक्त जरूरत पर मदद करते हुआ चला आया है..!

भाई मेरे को 15 हजार रूपये की बड़ी जरूरत है.. कही से इंतजाम कर दो न...!

ठीक है रजत भाई...आप परेशां न हो....आपका एकाउंट नंबर मेरे पास है मै कल 15 हजार रुपये लगा दूंगा...!

फोन कट करके रजत खामोशी से लेट जाता है..थकान कुछ और अधिक सी बढ़ जाती है.. कुछ देर बाद पापा जी के नंबर में मेसेज करता है कि पेसे का बन्दोबस्त हो गया है... कल भेज दूंगा..!

अपने की खुशियों का ख्याल रखते रखते वह अपनो में ही "गुमशुदा" सा हो गया है...! 


तारीख: 09.06.2017                                    विशाल सिंह सूर्यवंशम









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है