साँझ ढल रही है। रमीला बालकनी में बैठी सोच रही है कि एक दिन और सही सलामत बीत गया। ईश्वर की कृपा है। घर रसोई का सारा सामान लाकर रखा ,साफ सफाई की। यही रोज की दिनचर्या थी उसकी। पति की तरफ से केवल घर खर्च के रुपये ही मिलते।
रमीला कोई सामान्य गृहिणी नहीं है। रमीला की कहानी एक ऐसी औरत की हिम्मत और सब्र की कहानी है जिसने अपने जीवन में न झुकने की कसम खाई है। पति ने चाहा कि ऐसी लड़की से शादी हो जिसके मुंह में जबान ही न हो, रमीला थी भी ऐसी ही। पर स्वाव लंबी इंसान बिना जबान के भी करिश मा करना जानता है। अपनी मेहनत, लग्न और दृढ़ता से रमीला ने अपना घर और बच्चे संभाले। आज उसके विवाह को पच्चीस वर्ष हो गए। इन पच्चीस सालों में रमीला कभी नही दबी और सभी जिम्मेदारियाँ अपने ऊपर लेती गई, उफ तक न की।
आज नजारा यह है कि रमीला एक मंजिल पर बच्चों के साथ है तो पतिदेव दूसरी मंजिल पर अपनी माँ और बहनों के साथ ।
संघर्ष पूरी उम्र चलता है इसलिए रमीला आज भी सब कुछ झेल रही है I उसकी केवल एक ही इच्छा है कि पतिदेव को केवल इस बात का अफसोस या पछतावा हो कि उसने अपनी पत्नीऔर बच्चों के साथ जो किया हैवह सरासर नाइंसाफी है। उसे अपनी करनी पर पछतावा होना चाहिए। रमीला दिन रात ईश्वर से केवल यही प्रार्थना करती है।