पान का बीड़ा

राजस्थान कोटा, सन्तोष बाइस चौबीस साल का मजबूत जवान लड़का एक ट्रक पर ड्राइवर है।
समान लाद कर कभी जयपुर तो कभी मंदसौर(मध्यप्रदेश) आना जाना होता रहता था।


उसके साथ एक लड़का रवि खलासी का काम करता था , आज भी इन्होंने कोटा से मन्दसौर का कोई समान ट्रक में भरा और निकल पड़े सुबह सुबह।


सन्तोष को पान खाने का बहुत शौक है तो उसने रास्ते से एक पान मुँह में डाला और एक बंधवाकर अपनी जेब में रख लिया सुबह का सुहाना मौसम ओर खाली सड़क सन्तोष मस्ती में गुनगुनाता सरपट गाड़ी दौड़ा रहा था, अभी ये लोग एक घने निर्जन जंगल से गुजर रहे थे कि अचानक भम्म की आवाज के साथ गाड़ी का एक (पिछला)टायर फट गया ।


सन्तोष ने गाड़ी साइड लगाई और लगा देखने ,ओ साला अंदर का टायर है यार ,,औए रवि चल जैक निकाल टायर फट गया यार बदलना पड़ेगा चल जैक लगा।
आधे घण्टे अथक मेहनत के बाद पसीना बहाते हुए पहिया बदल कर ये लोग अपने साफर पर निकल पड़े सब सामान्य था।
कुछ आगे जाने पर सन्तोष की पान खाने की इच्छा हुई किन्तु ये क्या पान तो जेब से नदारद था।


औए रवि मेने पान लियो थो ना मिल काएँ नीं रयो।
उसने खलासी से कहा।
उस्ताद जी बठे पहियों बदलो थो अपन ने बठे गिर गयो होगो।


और दोनो अपना काम खत्म करके शाम तक घर आ गये सब सामान्य ही था।


रात को सन्तोष अकेला छत पर सोता था, आज भी खा पीकर सोया था रात का कोई बारह एक बजा होगा , सन्तोष को लगा कि कोई उसकी चादर खेंच रहा है अभी ये कुछ समझ नही पाया तभी एक सुरीली आवाज आई उठो सा एक पान नही खिलाओगे? मीठा पान।


सन्तोष ने एक झटके से आंखें खोल दी ,,, एक बहुत सुंदर लड़की उसकी खटिया पर पैरों की ओर बैठी मुस्कुरा रही थी।
सन्तोष के तो तिरपन कांप गए उसे देख कर ,,
कककक!!को!! कौन!! हो थम?? उसका हलक सुख गया जबान तालु से चिपक कर रह गई।

और वह अनजाने भय से बदहवास हो चीखने की कोशिश करने लगा किन्तु उसकी चीखें उसके गले में घुटकर रह गयी और सन्तोष बेहोश हो गया।
सुबह उठकर उसे लगा कि रात को उसने एक डरावना सपना देखा होगा और वह अपने सामान्य दिनचर्या में लग गया किन्तु उसे लगा कि आज उसकी तबियत कुछ खराब है शायद बुखार हो रहा है।
किन्तु सन्तोष अपने काम में लगा रहा।


आज फिर संतोष गाड़ी लेकर उसी रास्ते पर जा रहा था कि उसकी पान खाने की इच्छा हुई उसने जेब से पान निकल कर उसका कागज उतारा ही था कि एक आवाज सुनी,, अकेले खाओगे सा,, मन्ने ना दोगे,, और एक मधुर हंसी ,,, 
उसने पलट कर देखा वही रात वाली लड़की उसके साथ हाथ पसारे बैठी थी,, सन्तोष डर कर सिहर गया और हड़बड़ाहट में पान उसके हाथ से नीचे गिर गया,, वह ये नहीं देख पाया कि ये वही जगह थी जहां इन्होंने टायर बदला था।

सन्तोष को फिर लगा कि ये उसके मन का वहम होगा और वह इस घटना को भी भूल गया।
आज रात सब सामान्य रहा और सुबह से उसे अपनी तबियत में भी कुछ सुधार लगा।
अगले दिन सन्तोष का चक्कर जोधपुर का था और कोई अप्रत्याशित घटना नहीं हुई।
रात को फिर से सन्तोष छत पर सोया था समय यही कोई बारह एक का था उसकी चादर फिर सरक गयी, उसने आंख खोल कर देखा तो वही लड़की उसके सामने खड़ी मुस्कुरा रही थी,,
आज पान खिलाने नहीं आये सा, और उसने अपना हाथ इसके सामने फैला दिया,, सन्तोष ने उठकर भागना चाहा किन्तु उसे लगा किसी ने उसे चारपाई पर चिपका दिया है उसने चीखना चाहा किन्तु उसकी आवाज बस गूँ गूँ बनकर रह गई,, सामने खड़ी लड़की उसकी हालत पर जोर से हंस रही थी और सन्तोष की चेतना उसे छोड़कर जा चुकी थी।

आज सन्तोष सुबह देर तक नहीं उठा तो उसकी माँ उसे उठाने आ गई किन्तु ये क्या सन्तोष तो खटिया से नीचे पड़ा था और कांप रहा था।
उसकी माँ की चीख निकल गई ,,,
परिजन सन्तोष को नीचे आंगन में ले आये संतोष का पूरा बदन बुखार की आग में जल रहा था और ये जोर से कराह रहा था, आसपास के लोग इकट्ठा हो गए डॉक्टर वैद्य भी बुलाये गए किन्तु किसी को कुछ समझ में नही आया,, तभी किसी ने सुझाया,ऊपर का चक्कर लगता है भैरों मठ के बाबा जी को बुला लो ,,
और एक आदमी दौड़ा भैरो गढ़ी,, भैरो नाथ बाबा ने आते ही कहा हट जाओ सब यहां से ,, और वे कुछ मन्त्र पढ़कर फूंकने लगे,, शांत हो जाओ ये कोई खतरनाक चुड़ैल नहीं है बस एक अतृप्त भटकती आत्मा है और उन्होंने आसन लगा कर कोई पूजा शुरू कर दी, कुछ ही देर में सन्तोष स्थिर होकर बैठ गया और अनजानी मुस्कान बिखेरने लगा,,
कोन है तू और क्या चाहती है? बाबा भैरोनाथ ने कड़क कर पूछा,,
कुछ नहीं ,कुछ भी नहीं, मैं किसी को सताने नहीं आई मुझे इन्होंने उस दिन पान खिलाया था बस, उसी के मीठे स्वाद के लालच में यहां आ गई ,, एक दिन ओर इन्होंने पान खिलाया उसके बाद मुझे भूल गए,, और सन्तोष लड़की की तरह हँसने लगा।
कौन है तू?? बाबा जी ने फिर पूछा मैं अमुक गांव की लड़की हूँ, अपने पति के साथ मोटरसाइकिल पर ससुराल जा रही थी रास्ते में हमने मुंह में मीठा पान डाला था हम लोग अपनी मंजिल जा रहे थे कि एक ट्रक ने हमें कुचल दिया बस तभी से में उस स्थान पर भटक रही थी ।
उस दिन इन्होंने पान खिलाया तो मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं इनके साथ आ गई सँतोष लड़की की आवाज़ में बोला।
ऐंसे किसी को परेशान करना ठीक है क्या?? बाबाजी कड़क कर बोले और धूने में लोबान डाल दिया जिस से उस आत्मा को कष्ट होने,,, 
मुझे छोड़ दो मुझे जाने दो मैं किसी को नहीं सताती सन्तोष के मुह से पतली आवाज में निकला और वह सुबकने लगा,,, 
अच्छा बोल तुझे क्या चाहिए और हाँ उसके बाद कभी परेशान किया तो समझ ले जला दूँगा तुझे भैरोनाथ जी ने पूछा।
बस पान, नए कपड़े और श्रंगार उसने कहा।
ठीक है तेरे स्थान पर दे देंगे अब यहां मत आया करना कभी बाबा जी ने कहा और सन्तोष सामान्य होने लगा।
सन्तोष की माँ ने दो जोड़े लहंगा ओढ़नी पूरे एक सो एक मीठे पान और श्रंगार का सारा सामान उस स्थान पर रखवाया जहां सन्तोष का पान गिरा था।
सन्तोष अब इस रास्ते से भूल कर भी नहीं गुजरता,,
और जब भी उस लड़की को याद जरते है सिहर जाता है।


तारीख: 25.07.2019                                    नृपेंद्र शर्मा सागर









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