"ए पगली, चल हट यहां से...,भाग यहां से,जब देखो तब आ जाती है।" महेश अपनी दुकान के सामने से उस औरत को डाँटते हुए कहा।
वो औरत अक्सर इधर घूमते हुए आती थी।कभी एकदम भावशून्य ,कभी मन्द मन्द मुस्काती रहती थी।उसके बारे में बस इतना ही सुना था कि उसका एक बेटा था,जो एक एक्सिडेंट में मारा गया था।उसके बाद वो मानसिक सन्तुलन खो बैठी थी।उसके घर का कोई अता पता नही था।अक्सर उसे लोग कुछ न कुछ खाने को दे देते थे,बस यही उसकी जिंदगी थी।
"और तेज़ चला ना बे..क्या धीरे चला रहा है," रमेश ने बाइक चला रहे सोनू से बोला।
चला रहा हूँ बे..क्या तु भी! ले ये देख मेरी स्पीड , सोनू ने बाइक की स्पीड 80 पे करते हुए कहा।
तभी एक सामने से कुत्ते का छोटा बच्चा आता दिखा।सोनू ने बाइक की स्पीड धीरे करने की कोशिश की,पर बाइक धीरे न हो पाई और उस पिल्ले को धक्का मारते हुए निकल गयी।कुत्ते का पैर बुरी तरह कुचल गया था।दर्द के मारें तेज़ तेज़ कराह रहा था।
"ये आजकल के लड़के भी न ,अपने आप को शक्तिमान समझते है,बताइये उस बेचारे निरीह जानवर पर बाइक चढ़ा दी उन लोगों ने" हीरा चचा ने चिल्लाते हुए कहा, सभी ने उनकी हां में हां मिलाई,थोड़ी देर तक उस पिल्ले के लिए सांत्वना व्यक्त कि उसके बाद सब अपने काम में लीन हो गए।
पिल्ला अभी भी दर्द से कराह रहा था। तभी वो पगली अचानक से उधर से गुज़री, उसने पिल्ले को देखा, और उसे अपनी गोद मे उठा कर एक दुकान के किनारे पर ले आई। "ए पगली! क्या कर रही है,चल हट यहां से..लेके भाग इसको,कहीं मर वर गया ये पिल्ला,तो खामखाँ दिक्कत हो जायेगी,चल भाग" हीरा चचा ने उसे दुत्कारते हुए कहा। पर पगली ने कुछ नही कहा, उसने दुकान के सामने लगे नल के पानी से पिल्ले का घाव धोना शुरू कर दिया,उसे अच्छी तरह से साफ करके,अपनी मैली साड़ी के आँचल को थोड़ा सा फाड़कर,उस पिल्ले के पैरों मे बांध दिया। पिल्ला अब कम कराह रहा था।शायद उसे उस पगली के अपनत्व से काफी राहत मिली थी।
हीरा चचा ,रमेश के साथ साथ काफी लोग इस वाकये को देख रहे थे, उनकी आँखे चौंधिया रही थी।पगली वहां से उठी और चली गयी,वो पिल्ला भी लंगड़ाते हुए उसके पीछे चला गया ।सभी को समझ मे आ गया था," वो पगली" उनसे काफी समझदार व संवेदनशील है। एक सवाल उनके मन में था," क्या वो सचमुच पागल है, या वो लोग जो हर बात में केवल संवेदना ही व्यक्त करतें है।