आधा-पूरा

आधे पल मे, आधे इंच की मुस्कान।
आधे पल मे, दिल की आधी धडकन।
बस एसे दो-दो आधे जोड़
एक-एक मोती बना।

हर मोती को धागे मे पिरो
बस एक यही माला काफी,
जिन्दगी, भर के
पूरी कमाई।
चाहे रहे एक मोती,
हर पल उसे ही देख
होती पूरी मुस्कान।

आधे से भी पर
आधी मुस्कान मे
आधे के लिए 
रहती पूरी उम्मीद।

अभी मेरे पास ही रहने दो,
चला जाऊ, फिर
अपने-अपने आधे-पूरे, ढूँढ के
तोड़ ले जाना।

हो सके तो बस
जैसी है वैसे ही मुझे
पहना देना,
हर मोती और पूरी माला देख
पूरा मुस्कुरा देना।


तारीख: 06.06.2017                                    अभीतेज गुप्ता









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