शुष्क नयन जो अरसे से हैं,
पानी बिन जो तरसे से हैं |
उनकी प्यास बुझा दे आज,
अश्रु खूब बहा दे आज ||
गम छोटा है या वो बड़ा है,
अंदर क्यों सूखा सा पड़ा है ?
पलकों को नम होने दे आज,
कष्टों को कम होने दे आज ||
हृदय को भी करते हैं निर्मल,
अश्रु पश्चाताप के हैं गंगाजल |
सारे मैल बह जाने दे आज,
घमंड के दुर्ग ढह जाने दे आज ||
किसी की नज़रों से जो गिरा था,
कुछ पल को जो मन ये फिरा था |
उनके सम्मुख अश्रु गिरा दे आज,
सबको अपना बना ले आज ||
चाहे न हों पुष्प, तुलसी-दल,
रोली-मौली, धूप, पावन जल |
श्रद्धा के अश्रु चढ़ा दे आज,
पूजा की उपमा बढ़ा दे आज ||