बिटिया रानी

 

पायल छनका कर , कमर मटकाकर 
थोडा इतराकर ,थोडा इठलाकर
चलती कुलाँच मार  वो हिरनी सी ,
ठुम -ठुमक ठुमकती वो मोरनी  सी !

ढोए है कमर पे वो छोटी सी गगरिया 
नन्हीं   कली की कच्ची है उमरिया ,
गिनती दिन में सितारे गुड़िया वो प्यारी
चली पनघट पे भरने पानी राज दुलारी !
 
सपने खो गए आँखों में सब नादान
चंचल नयन होंठों पे मधुर   मुस्कान
बचपन में हुई बड़ी ,छोटी वो सयानी ,
औरत बन ,चली गली में बिटिया रानी ।।


तारीख: 17.12.2017                                    पूजा कालरा









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