पायल छनका कर , कमर मटकाकर
थोडा इतराकर ,थोडा इठलाकर
चलती कुलाँच मार वो हिरनी सी ,
ठुम -ठुमक ठुमकती वो मोरनी सी !
ढोए है कमर पे वो छोटी सी गगरिया
नन्हीं कली की कच्ची है उमरिया ,
गिनती दिन में सितारे गुड़िया वो प्यारी
चली पनघट पे भरने पानी राज दुलारी !
सपने खो गए आँखों में सब नादान
चंचल नयन होंठों पे मधुर मुस्कान
बचपन में हुई बड़ी ,छोटी वो सयानी ,
औरत बन ,चली गली में बिटिया रानी ।।