बोल कहाँ तेरा घर है ?

बोल कहाँ तेरा घर है ?
बोल कहाँ तेरा घर है ?

अचल खड़ा है जहाँ हिमालय,
सकल पर्वतों का सम्राट।
हिमाच्छादित वर्ष भर रहे,
नयनाभिराम स्वरुप विराट ।।

वहीं किसी चोटी के नीचे,
बोल कहीं तेरा घर है ?
बोल कहाँ तेरा घर है ?

सदानीरा नदियाँ  जहाँ बहतीं,
अन्नपूर्णा धरती है महान।
स्वर्णाभा से रौशन होते,
भारत के विशाल मैदान॥

वहीं  किसी खेत के  मध्य में,
बोल कहीं तेरा घर है?
बोल कहाँ तेर घर है ?

रेत का सागर है जहाँ पर,
फैला विशाल रेगिस्तान।
तरह-तरह के रंग भरे हैं,
बहुत रंगीला है राजस्थान॥

वहीं किसी मरूद्यान के तीरे,
बोल कहीं तेरा घर है?
बोल कहाँ तेरा घर है ?

दूर-दूर तक फैला पानी ,
मनमोहक प्राकृतिक नज़ारे।
तीन तरफ से सुशोभित करें,
भारत को जलधी के किनारे

वहीं किसी  किनारे पर ही,
बोल कहीं तेरा घर है ?
बोल कहाँ तेरा घर है ?

चारों तरफ से पानी से घिरे,
कुछ सुगम, कुछ कठिन दुरूह।
दोनों समुद्रों उपमा बढ़ाते,
भारत के अनुपम द्वीप समूह॥

वहीं किसी सुन्दर से द्वीप पर,
बोल कहीं तेरा घर है?
बोल कहाँ तेरा  घर है ?


तारीख: 14.06.2017                                    विवेक कुमार सिंह









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