हुई उम्र पंद्रह, मैं फ़ौजी बना ;
अस्सी का हुआ घर को चला।
मैने गाँव वालों से पूछ लिया;
अब घर मे हैं कौन बचा ?
वो देखें जनाब, है घर आपका;
सरु, देवदार और ढेर क़ब्रों का।1
कुत्ता रहता था, खरहा रहता है;2
अब शहतीर पर बन्मुर्ग़ा रहता है।3
आँगन मे जंगली अनाज उगे हैं;
कुएँ मे जंगली साग उगे हैं ।
अनाज कूट खाना पकाऊँगा ;
मैं साग की सब्जी बनाऊंगा।
खाने का क्या!झट बन जाएगा;
साथ मेरे मगर कौन खाएगा ।
1. चीन मे क़ब्रों के पास सरु (साइप्र्स ) और देवदार के पेड़ लगाते हैं।
2. घर का दुलारा कुत्ता जहाँ सोता था, वहाँ अब खरहे का डेरा है।
3. घर की शहतीर जहाँ पालतू मुर्गे जा बैठते थे,वहाँ चिड़ियों ने घोंसला बना लिया।
इरफ़ान अहमद, व्याख्याता, चीनी विभाग, सिक्किम (केन्द्रीय) विश्वविद्यालय