एक नई दास्तां

एक नई दास्तां,
 मैं लिखूं तुम लिखो |
प्रेम का रास्ता मैं चुनू,
तुम चुनो |
साथ दो तुम अगर ,
नई दास्तां मैं लिखूं ;तुम लिखो |


प्रेम में एक रतन मैं जडू ,
तुम जड़ो |
है यह कितना सरल ,
प्रेम का व्याकरण |
तुम कहो मैं सुनूं ,
मैं कहूं तुम सुनो |


रच रही दास्तां ,
आज है यह कलम |
एक कदम तुम चलो , 
एक कदम मैं चलू  |
एक नई दास्तां मैं रचू ,
 तुम रचो |


है यह कितना सरल ,
प्रेम का रास्ता |
तुम अगर साथ दो ,
तो रचे दास्तां |
न कहूं मैं अगर ,
न कहो तुम अगर ; नैन कह देंगे सब....
                           


तारीख: 17.03.2018                                    वर्षा साहू (कृष्णदासी)









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