एकदिन, हो सकता है


"एकदिन हम खुद के ही दुश्मन हो जायेँगेँ ,
एकदिन हमारी ये दूरी हमको तडपायेगी ।।
एकदिन तुम्हारी ये जिद तुम्हे सतायेगी ,
एकदिन ये तन्हाई मुझको मार डालेगी ।।

एकदिन ये है कि तुम्हेँ सब मजाक लग रहा ,
एकदिन शायद ये हो कि जिँदगी मजाक दिखे ।।
एकदिन ये कि दिल के लफ्जों को झूठ समझ रहे हो ,
एकदिन शायद इन्हेँ ढूढ के पढो जो मैँने लिखे ।।

एकदिन ये है कि जरूरत नही किसीकी तुम्हेँ ,
एकदिन हो सकता है मैँ ना रहूँ जरूरत के लिए ।।
एकदिन ये है कि तुम भी नही पूछती हो मुझे ,
एकदिन शायद मुझे याद किया जाए मोहब्बत के लिए ।।

एकदिन ये है कि तुम्हे सब समझ मेँ आ रहा शायद ,
एकदिन ये हो कि फिर समझने से फायदा ना रहे ।।
एकदिन ये है कि साँस-दर-साँस समझ रहा हूँ मैँ ,
एकदिन ये हो दिल के धडकने का सिलसिला ना रहे ।।

एकदिन ये कि मैँ तुम्हेँ पुकार रहा और तुम कहीँ हो ,
एकदिन शायद मैँ गुमनामियोँ मेँ खो जाऊँ कहीँ ।।
एकदिन ये है कि नीँद नही आती मुझको रातोँ मेँ ,
एकदिन ये हो कि सदा के लिए मैँ सो जाऊँ कहीँ ।।

एकदिन तब ये पत्थर भी पानी बन जायेगा ,
एकदिन जब ये पत्थर ,पत्थर से मिल जायेगा ।।
एकदिन ये है वो जिद से कुछ नही कर पा रहा ,
एकदिन शायद वो चाहकर भी कुछ ना कर पायेगा ।।

एकदिन ये है उसकी साँसो का एहसास है मुझे ,
एकदिन शायद ये हो कि खुद की साँस भी ना ले पाऊँ मैँ ।।
एकदिन शायद चाहकर भी ना आ पाऊँ तुम्हारे पास ,
एकदिन ये है कि तुम जो भी कहो वो कर जाउँ मैँ ।।

एकदिन ये है कि सब एक तरफ ,तुम एक तरफ हो ,
एकदिन शायद ये हो कि सबकुछ एक ही तरफ हो जाए ।।
एकदिन ये है कि मैँ प्यार मेँ ये कहाँ तक चला गया हूँ ,
एकदिन शायद ये हो मुझसे ये सारे रास्ते कहीँ खो जाए ।।

एकदिन ये है मैँ समझता हूँ कि मैँ समझ रहा हूँ ,
एकदिन शायद मैँ हकीकत मेँ समझ जाऊँ ।
एकदिन ये है कि तुम बिना जिँदगी नही रहेगी ,
एकदिन भी कैसे जीऊँगा अगर मैँ बच जाऊँ ।।


तारीख: 12.08.2017                                     देव मणि मिश्र









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