हाँ मैं जलता हूँ

हाँ मैं जलता हूँ उन सारे लोगो से,
जो तुम्हारे आस पास हैं,
जो तुम्हे हर रोज देखते हैं, निहारते हैं,
और मैं यंहा तुम्हारी तस्वीरों से लिपट कर सोता हूँ।

 

हाँ मुझे ये स्वीकार नहीं,
की मेरे सिवा कोई और तुम्हे छूने की भी सोचे,
की मेरे सिवा तुम्हारी तरफ को नजर उठा कर भी देखे,
मैं कैसे कहूँ, मै तिल तिल कर जलता हूँ

 

हाँ मैं तुमपर गुस्सा करता हूं,
तिलमिलाता हूँ, झल्लाता हूँ,
कभी गहरी साँसे भरता, कभी सर पटकता
और कभी कभी तो गुस्से से रो देता हूँ।

 

हाँ मुझे तुम्हारी भूख है,
शरीर की नहीं, तुम्हारे प्यार की और दुलार की
जोर से बाहों में भरकर, देर तक सहलाने की
जिसे पाने को मैं महीनो तक दिन गिनता हूँ

 

हाँ मुझे ज़माने से डर नहीं
मुझे तुम्हारे साथ की हिम्मत है
मुझे तुम्हारे गोद की जरूरत है
जहाँ कभी कभी मैं बच्चा बन कर सोता हूँ।
 


तारीख: 18.07.2017                                    अंकित मिश्रा









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है