होली का त्योहार


धूप अभी भी मीठी है 
ठंढी हवा कम तीखी है 
धरती के हरे आँचल में 
फूलों ने होली खेली है ||


फागुन के त्योहारों में 
भेदभाव मिट जाता है
रंगों भरी  फुहारों में 
बस अनुराग रह जाता है ||


पकवानों के खुशबू में डूबा 
रसोई खुद पर इ त राता है
मेहमानों की खातिरदारी 
और कब वो कर पाता है ||


ढोल के ताल पर थिरकते लोग 
संगीत मधुर मिल गाते हैं 
मौज मस्ती की इस घरी में 
भांग का लुत्फ़ भी उठाते हैं ||

 


तारीख: 20.03.2018                                    ज्योति सुनीत









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