बिखरे हुए रंगो को समेट लेने की जुगत
सुबह से शाम कराती गयी
उजालो का लालच देकर
जिंदगी तू हमे , अंधेरो की ओर बढ़ाती गयी
हर पल कहती रही हौसला रखने को
और चुनौतियों को बढ़ती गयी
सपने दिखाए आकाश के आलिंगन के
और हमारी नींव को दीमक लगाती गयी
कर भरोसा तुझ पर हमने , हर ज़ख्म को सिर से लगाया
हमे फूलों की आस मैं चलते गयी
तू राह मैं कांटे बिछाती गयी..
मेरी ज़िन्दगी पर भरोसा था मुझे
मैं तुझे रंगो से भरना चाहती थी
तुझे लगा मैं तुझे ही खत्म करना चाहती हूँ
मैं हर पल तुझे संभालती गयी..
तू हर पल मुझसे कतराती गयी
समय जो बचा हैं बाकि ए जिंदगी
दोस्ती कर लेते हैं आ अब
हम दो नहीं एक ही हैं ..
आ अब से ये सच गाँठ कर लें
जो छूठ गया वो छूठ गया
अब जो आएगा , आ उसे पकड़ लें
दरख्वास्त तुझसे है... आ एक दूसरे से खुद को खुशियों से भर लें