जो कुछ भी था दरमियाँ

 

तेरे सुर्ख होंठो की नरमियाँ याद है
तेरी सर्द आहों की गरमियाँ याद है
कुछ भी तो नहीं भूले हम आज भी
जो कुछ भी था दरमियाँ याद है....

याद है बिन तेरे वो शहर का सूनापन
संग तेरे वो गाँव की गलियाँ याद है
याद है वो महकता हुआ गुलशन
वो खिलती हुई कलियाँ याद है..

याद है तेरी आँखों की वो मस्तियाँ
तेरी जुल्फों की वो बदलियाँ याद है
कुछ भी तो नहीं भूले हम आज भी
जो कुछ भी था दरमियाँ याद है....

याद है कल वो बीता हुआ
वो हारी हुई बाज़ी, पल वो जीता हुआ
संग तेरे लम्हों का यूँ गुजरना याद है
याद है बिन तेरे मौसम वो रीता हुआ
 


तारीख: 20.10.2017                                    दिनेश गुप्ता









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है