जो मेरे पास रहे

जो मेरे पास रहे 
बहुत  ख़ास रहे 

कभी तो ज़मीन 
या आकाश रहे 

बिखेरते रहे बू 
जो मधुमास रहे 

छोड़े न छूटती 
वो अहसास रहे 

छिपाके बुराइयाँ 
मेरा कपास रहे 

पिला दी ज़िंदगी 
क्या आभास रहे 
 


तारीख: 27.07.2019                                    सलिल सरोज









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