आओ बच्चो तुम्हें कराएं झांकी हम कश्मीर की ,
कश्यप कालीदास सती वर्मन की प्यारी भू मि की
पश्चिम में जिन्ना की जिद सा फ़ैला पाकिस्तान है ,
उत्तर में लेनिन का प्यारा सुन्दर रूस महान है ,
. पूर्वोत्तर में चीन पूर्व में तिब्बत लामाओं का देश ,
पर्वत मालाओं से मंडित कितना सुन्दर इसका वेश |
उषा काल में बदनीयत ने छीनी बिंदी भाल की ,
दे बर्बर को दण्ड करो रक्षा माँ के सिन्दूर की |
आओ बच्चो .........
यह भारत का नन्दन कानन पावन तीर्थ हमारा है ,
चुनचुन मंजुल सुमन प्राकृति ने इसका रूप सँवारा है ;
सतीसार की दिव्य भूमि यह ,भव्य कुञ्ज ऋषिओं का है ,
अमर शहीदों का यश-ध्वज यह ,सबल ह्रदय भारत का है |
घाटी में बहता समीर नित , कहता कथा अतीत की ;
इसकी रज से तिलक करो , यह भूमि हमारी कीर्ति की |
आओ बच्चो .........
मीठे झरनों की कल - कल में गाता गीत जवानी के ,
झीलों में झांका करता है , रूप बदलते आनन के ;
चुम्बकीय लावण्य खींचता पंछी देश विदेश विदेश के ,
पल में चित्त चुरा लेता है , रूप बदलकर वेश के |
केशर की क्यारी में सुषमा , विकसित योवन गन्ध की ,
मन को करदेती मतवाला गन्ध अहा ! मकरन्द की
आओ ! बच्चो !..........
सभी उच्चशिखरों पर देखो बने हमारे मन्दिर हैं ,
चप्पे-चप्पे पर देखो यहाँ तीरथ खण्डहरों हैं ;
मन्दिर श्री शंकराचार्य का, सती-नगर के मस्तक पर ,
भारतीय शुचि कीर्ति महत्ता , कहता है नित हँस - हँस कर |
दुहरा रही वितस्ता मन में किर्त्ति - कथा स्कन्द की ;
चंद्रभाग नित अर्घ्य चढ़ाती कर - कर याद अतीत की |
आओ बच्चो ! .........
मार्तण्ड और पुर - अवन्ति के , भग्नावशेष बुलाते हैं ,
ललितादित्य और वर्मन की, हमको याद दिलाते हैं ;
गंगाबल श्री अमरनाथ शुचि , खीरभवानी और मदन ,
जहाँ किये ऋषि - मुनियों ने , जप - तप संयम और हवन |
किन्तु होगई हाय ! दुर्दशा , ऋषियों की सन्तान की ;
तलवारों के भय से जनता अनुगत हुई इस्लाम की |
आओ बच्चो ! ..........