कोरा कागज 


जब जिंदगी में झूठे से ख्वाब का भ्रम बन जाता है।
तब कौरे कागज से अपना र्दद जाहिर कर ये दिल,
जरा सम्भल जाता है।।

जब अकेले मे अकेलापन जकड़ लेता है ।
र्दद के साथ मिल हमे पकड़ लेता है,
तब ये कौरे कागज मरहम बन  जाते है।।

जब र्दद अपना चाहकर भी बया ना कर पायें।
सूनी तस्वीरें जिंदगी की किन्हे दिखायें सौचकर,
उन्हे कागज पर उतार लेते है ।।


तारीख: 20.03.2018                                    मनीषा राय









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