एक ख़त तुम्हारे नाम मै लिख ही देती हूँ.
सवाल ये कि क्या तुम्हारा नाम लिखूँ ?
मेरा दिल आज कल तुम्हारी चाकरी में है
तो क्या तुम्हें मैं मेरे सरकार लिखूँ ?
या जिस तरह साथ हम साथ हंसते रोते हैं
क्या अच्छा नहीं कि तुम्हें यार लिखूँ?
पर बड़ी मुश्किल है ..जो तुम ये कहते हो
ऐसे किस तरह मैं तुम्हें मेरा प्यार लिखूँ ?
कि फिर रस्में उल्फत में बहुत रूसवाई है
कुछ और लिखवा लो तो बार बार लिखूँ ?