माँ है रब का रूप

इस दुनिया के जितने रिश्ते सब झूठे बहरूप।
इस दुनिया के जितने रिश्ते सब झूठे बहरूप।
माँ का रिश्ता सबसे सच्चा माँ है रब का रूप।
माँ है रब का रूप।

खुद खुदा भी रूठे तुझसे फर्क कोई नि पड़ता है।
माँ के आंचल में तू छुप जा ऐ बंदे क्यों डरता है।
तेरी परवाह करती रहती ना छावं देखे ना धुप।
माँ का रिश्ता सबसे सच्चा माँ है रब का रूप।

जान भी अपनी देदूं तेरे लई मेनु थोड़ी लगदी है।
तेरे बिना माँ ये जिंदगानी मेनु कोरी लगदी है।
मेरे लिए तू रब है मेरा मेरे लिए महबूब।
माँ का रिश्ता सबसे सच्चा माँ है रब का रूप।

मेरे लिए किन्ने दुःख है सहती मुझसे कुछ न कहती है 
तू क्या समझे मेनु पता नई गुम सुम सी क्यों रहती है।
मेरी खता तू माफ़ भी करदे हो गयी मुझसे चूक।
माँ का रिश्ता सबसे सच्चा माँ है रब का रूप।

मेरे बिना कैसे रहती मेनु पता भी चलता है।
माफ़ तू करदे माँ मेरी पर बस मेरा नही चलता है।
अब तो मैं ना रह पाउँगा तुझसे इतनी दूर।
माँ का रिश्ता सबसे सच्चा माँ है रब का रूप।


तारीख: 11.06.2017                                    प्रशांत पाठक









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