मै नारी हूँ


मै कुछ भी हूँ..  बेटी,  प्रेयसी,  पत्नी या माँ 
परन्तु सर्वप्रथम मैं 'मै' हूँ,...  


मै प्रकृति हूँ 
किसी के स्वपन की आकृति हूँ 
परमेश्वर की गढ़ी हुई मै 
सबसे सम्मानित कृति हूँ 


मै इस सृष्टि का श्रृंगार हूँ 
उपलब्धियों का विजय हार हूँ 
मै चपल,  दामिनी निर्जरा हूँ 
सबल , अडिग और पोषित करने वाली धरा हूँ 


कोमल हूँ फूलों सी , फूलों की महक हूँ 
मै भोर की नारंगी किरन,  चिडिय़ों की चहक हूँ 
मै स्निग्धा हूँ 
थोड़ी आत्ममुग्धा हूँ 
मै दुआ हूँ, प्रेम हूँ,  प्रेम पर ही हारी हूँ 
मै कठपुतली नहीं 'देव ' ,  मै नारी हूँ 


अपनी कलुषित दृष्टि हटा दो 
मै सम्मान की अधिकारी हूँ 
........ मै नारी हूँ ।। 
 


तारीख: 20.03.2018                                    साधना सिंह









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