मेरी प्यारी जान

सुनो सुनाता एक कहानी ,
मैं और मेरी शोभा की ,
सफ़ल ना हुई पर थी पवित्र ,
रामचन्द्र और सीता सी ,
नज़र लग गयी कैकइयों की ,
तीख़े तीखे मारे बान ,
रो मत मेरी प्यारी जान !!
रो मत मेरी प्यारी जान !!

इस समाज के तानों से ,
राधा ने आधार चुना ,
कृष्ण अकेला छोड़ के उसने ,
अपना एक संसार बुना ,
धरती पवन समन्दर कहता ,
रख उसकी इच्छा का मान ,
जी ले मेरी प्यारी जान !!
जी ले मेरी प्यारी जान !!


तुमने पूजा में माँगा है ,
अपने पति का प्यार प्रिया ,
मैंने तुम दोनों के ख़ातिर ,
शिव जी का श्रृंगार किया ,
पूरी होवे सभी कामना,
दीप जलाकर करता गान ,
खुश रह मेरी प्यारी जान !!
खुश रह मेरी प्यारी जान !!

मुझसे ज्यादा तेरी ख़ुशी ,
उस सत्यवान के पास रही ,
मैं तो सिर्फ़ झगड़ा करता था ,
उसनें अपनी जान भी दी ,
सावित्री सी हो जा प्रियसी ,
ना देना तू मुझपर ध्यान ,
अब तो हँस दे मेरी जान !!
हँस ले मेरी प्यारी जान !!
 


तारीख: 06.06.2017                                    शशांक तिवारी









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है