मृत्योत्सव

चल रे कान्हा, बिछा चिता रे 
काया दुखः, हो गया विदा रे
रख लकङी तूं तनिक सम्भाल…… 
अब सेज दुल्हनिया चढती है……..

नये हैं कपङे, जरा बचा के
मुख चमके, चंदन लगवाके 
बहा के आंसू, हल्के हो लो
माटी हो रुखसत चलती है
रख लकङी तूं तनिक सम्भाल…… 
अब सेज दुल्हनिया चढती है……..

शहनाई जरा जोर लगा के 
देवस्थान से, जरा बचा के
कपार फोङो,अगन लगाओ
अब जर्जर देह मचलती है
रख लकङी तूं तनिक सम्भाल…… 
अब सेज दुल्हनिया चढती है……..

कैसा सुंदर परिवार सजाया
रिश्तों पर ऐंठा फिरता था
खाली हाथों फूंक चले सब
अब मन की आंखें खुलती हैं 
रख लकङी तूं तनिक सम्भाल…… 
अब सेज दुल्हनिया चढती है……..

हद से ज्यादा हरदम निगला
सब सोना पर तांबा निकला
आज की अग्नि असली सोना
अब बंद तिजोरी खुलती है
रख लकङी तूं तनिक सम्भाल…… 
अब सेज दुल्हनिया चढती है……..

राग-द्वेष मन भरा क्लेश था
काम क्रोध से मोह विशेष था
बस कुछ पल में राख भऊंगा
अकङ की परतें खुलती हैं 
रख लकङी तूं तनिक सम्भाल…… 
अब सेज दुल्हनिया चढती है……..

सांसे लाया, पर नाम नहीं था
नाम तो है पर सांस नहीं अब
इस नाम लिये ही पाप कमाया
पर कब नामऋचा संग चलती हैं 
रख लकङी तूं तनिक सम्भाल…… 
अब सेज दुल्हनिया चढती है……..

तङप रहा था मेरा जिया रे
लेवन को आ गये पिया रे
देख सखी ये परम मिलन तूं 
अब हर चाह  पिघलती है 
रख लकङी तूं तनिक सम्भाल…… 
अब सेज दुल्हनिया चढती है……..

चल रे कान्हा, आग लगा रे 
बस दे दे मुक्ति, दाग लगा रे
रख लकङी तूं तनिक सम्भाल…… 
अब सेज दुल्हनिया चढती है……..


तारीख: 04.07.2017                                    उत्तम दिनोदिया









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