नज़रों का धोखा है

नज़रों का धोखा है,
या कोई मौका है,
तुम भी आज़माओ ना,
अब किसने रोका है।

सहमी सी सांसों में,
सिसकी जो घुटती है,
लासों सी पलती है,
थामों तो छूटती है।

कोनो में इक कोना,
मेरा भी लगता है,
छुप जाऊं मैं भी अब,
डर ऐसा लगता है |

कोनो में छुप छुप के,
बाते जो करते हैं,
भ्रम है वो जिंदा है,
तील तील के मरते हैं |


तारीख: 06.06.2017                                    विजय यादव









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