उठ खड़ी हो, गर्जना से कर दे जग में हाहाकार
मृत स्वपन में जान डाल दे, होने दे अपना सत्कार
कैसे तू भूली है सब कुछ, की तुझसे ही ये संसार
और सृजन कर नयी कल्पना, दे कुछ जग को नया विचार
उठ की तू एक नारी है, तुझसे ही जीवन चलता है
बच्चा लेता वही निवाल, जो भी माँ से मिलता है
जो तू ऐसे हार गयी तो, बेटी को अपनी क्या देगी
नयी सीख दे, नयी प्रेरणा, निडरता का कर प्रचार
बना उसे वज्र सा निष्ठुर, सह जाए सारे प्रहार
बना ढाल उसको तू चल दे, तेरा यही अचूक हथियार
उठ खड़ी हो गर्जना से कर दे जग मे हाहाकार...