निस्बत

 

वो अंधेरों में पुकारता है नाम रोज़ मेरा
हम है के उज्जालो में सफर किया करते है

वो रुमाल के गाँठ में दबा है इश्क़ मेरा
हम है के आसमान ओढ़कर चला करते है

वो छुपा रखे है मेरे यादों की वो जुगनूवे
हम है के सूरज को जला कर दिया करते है

वो फेकते है लिख के पथरो में हर्फ़ मेरा
हम है के सितारों को जेबों में भरा करते है

वो अश्कों में बटोरे फिरते है जहान मेरा
हम है के उसे हर सुखन में ढूढ़ा करते है


तारीख: 12.10.2019                                    राजेश कुट्टन









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है