पापा मुझे इस दुनिया में लाना

पापा मुझे दुनिया में लाना
लेकिन जीना भी सिखलाना
पंख दिए हैं अभिलाषा के
तो उड़ने की रीत चलाना

गिरु तो न देखु किसी को
अपने पैरो विश्वास जगाना
हो सकता है कभी घबराऊँ
नजरो में आकाश दिखाना
निर्णय मेरे लिए तुम करना
इच्छा का मेरी पता लगाना

पापा मुझे दुनिया में लाना
लेकिन जीना भी सिखलाना
पंख दिए हैं अभिलाषा के
तो उड़ने की रीत चलाना

समर्पण ही जीवन मेरा हो
सपन अपने लिए मेरा हो
भले रूप हो मेरे बहुतेरे
स्त्रीत्व मुझमे भी अपना हो
अलंकार हो सजे देह पर
कन्यादान में मान निभाना

पाप मुझे दुनिया में लाना
लेकिन जीना भी सिखलाना
पंख दिए हैं अभिलाषा के
तो उड़ने की रीत चलाना


तारीख: 20.10.2017                                    विजयलक्ष्मी जांगिड़









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