पहली बारिश की खुशबू

पहली बारिश की खुशबू!!
घने काले बादल नही ,
असंख्य बूँदों के छीटें नहीं , 
बिजली के चमकीले मार्ग नही ,
गर्जन नही , 
बस एक खुशबू । 

हल्की-हल्की धूप से ढके
हल्के-हल्के पीपल के पत्तों के बीच से
हल्के दबे पैरों से
मेरी चारदीवारी में, हल्की सी मस्ती भरती
पहली बारिश की खुशबू ।

माँ की अँगुलियों जैसे
कोमल, मुलायम हवा के छोटे-छोटे झौंकों पर सवार हो
मेरे चेहरे को पुचकारती, प्यार करती
पहली बारिश की खुशबू ।

आभास देती है
कि वर्षा  दूर नहीं 
कि अम्रत से निचुड़ते बादल
साँवला आँचल पहने, कभी भी आ सकते हैं।
कि न जाने कितनो की प्यास बुझ चुकी है
और मेरी भी बुझने वाली है।

पहली बारिश की खुशबू 
संकेत है कि कहीं उत्सव हो रहा है
सलाह है,
कि मैं भी तैयार रहूं
वर्षा  का आलिंगन जो करना है।


तारीख: 05.06.2017                                    पुष्पेंद्र पाठक









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