फूल मुझे कर दो

इससे पहले कि मैं होश सम्भालूँ 
मदहोश मुझे कर दो,
ज़िन्दगी के रोड़े शूल बनकर चुभे,
फूल मुझे इससे पहले कर दो । 
हँसता रहूँ , गुनगुनाता रहूँ 
चढ़कर सर काँटों के,
महकूँ और महकाऊँ अँधेरे 
काली घनघोर रातों के । 

जो गिरा रहूँ राहों पर 
झूमूँ संग हवाओं के,
जो झिलमिलाए किरणों के संग 
वो धूल मुझे तुम कर दो। 
इससे पहले कि मैं होश सम्भालूँ 
मदहोश मुझे कर दो,
न होश हो जहाँ का 
बेहोश इस कदर मुझको कर दो ।


तारीख: 06.06.2017                                    जय कुमार मिश्रा









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