प्रतीक्षा


तेरी पायल की झंकार हुई ना।
मन मेरा बेचैन लगे।
नयनन से अब नीर बहे हैं।
बादल से मेरे नैन लगे।
दिल घबराए क्षीण हो रहा।
सावन की कारी रैन लगे।
तेरा एक दरस दिखे जब।
तब ही दिल को चैन लगे।

मुस्कान लिए तू आती है।
मुझको मेरी उड़ान दिखे।
नैनों में सपने लाती है।
मेरी आँखों की मुस्कान दिखे।
मेरी बंसी नग्में गाती है।
हर तान को एक पहचान दिखे।
सरगम रागों में आती है।
जैसे मोती अनजान दिखे।

जमुना तीरे जब भी आऊँ।
तुझको ही पुकारूँ मैं।
मद में तेरे गुम हो जाऊँ।
रूप तेरा सँवारू मैं।
जमुना में तेरी छवि रहती है।
छवि को तेरी निहारूँ मैं।
तू आती न दिखे मुझे जब।
तेरी गलियों में पधारूँ मैं।

साँझ हुई आ जा अब तो।
सब्र मेरा खोने को है।
मेरी गायें कह रही मुझे हैं।
पंछी भी सोने को हैं।
गर देर हुई डाँटेगी मैया।
कुछ आज अजब होने को है।
मन में भीतर सैलाब उठे है।
दिल मेरा रोने को है।

तेरे मुखड़े का सन्दर्भ कहे है।
मेरे दिल की परवाज़ भरी।
तेरी आँखें प्रत्युत्तर देती सी।
कहती मुझमे लाज भरी।
तेरे शब्दों में मैं ही रहता हूँ।
इनमे मेरी आवाज भरी।
मेरे मन से पूछ ज़रा तू।
राधा रानी बेताज भरी।
 


तारीख: 09.08.2017                                    विवेक सोनी









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