बच्चपन बहुत ही प्यारा था

 बच्चपन बहुत ही प्यारा था ।
वो माँ कि मीठी अवाज़ से सवेरा होना ।
वो पापा कि सवारी पर स्कूल जाना ।
वो स्कूल भी प्यारा, वो दोस्त भी प्यारा ।


वो लौट के हाथों से खाना खिलानें वाला हर कोई ।
वो दिन का सोना भयानक सपनें जैसा ।
वो शाम होते ही खेलना और माँ का पीछे से चिल्लाना ।


वो पापा का इन्तजार रात के खाने पर।
वो इन्तजार भी प्यारा, वो डाट भी प्यारी ।
वो सच्चा बच्चपन पूरा ही प्यारा ।।
 


तारीख: 20.10.2017                                    प्रेरणा सेठ









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